शख़्सियत

शत्रुघ्‍न सिन्हा

बॉलीवुड में बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा की कभी तूती बोलती थी। एक समय ऐसा भी था जब फिल्मों के निर्माता-निर्देशक अपनी फिल्मों में हीमैन धर्मेंद्र और एंग्री यंगमैन अमिताभ की जगह शत्रुघ्न सिन्हा को तरजीह देते थे। शत्रुघ्न सिन्हा बॉलीवुड के ऐसे पहले अभिनेता हैं, जिन्होंने फिल्मों के साथ-साथ राजनीति में भी एक सफल पारी खेली। वे बिहार के पटना साहिब से भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं।  हाल ही में बिहार चुनाव को लेकर बीजेपी ने उन्हें अपने स्टार कैम्पेनर लिस्ट में शामिल किया है।

प्रारंभिक जीवन :

बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा का जन्म 9 दिसंबर 1945 को पटना के कदमकुआं स्थित घर में हुआ था। इसका निर्माण उनके पिता डॉ. भुवनेश्वर प्रसाद सिन्हा ने करवाया था। शत्रुघ्न सिन्हा के इस घर में तब के बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता, क्रिकेटर और पॉलिटिशियन भी पधार चुके हैं। शत्रुघ्न सिन्हा के तीनों बड़े भाई साइंटिस्ट, इंजीनियर और डॉक्टर थे। ऐसे में पिता चाहते थे कि उनका छोटा बेटा भी अपने तीनों बड़े भाइयों की तरह या तो डॉक्टर बने या साइंटिस्ट।

पर शत्रुघ्न सिन्हा को ये दोनों फील्ड उनकी रुचि के करीब नहीं लगे। ऐसे में एक दिन शत्रुघ्न सिन्हा ने पिता को बिना बताए पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट से फॉर्म मंगवाया। अब मुश्किल यह थी कि उस पर गार्जियन कौन बनेगा? पिता साइन करने से रहे। ऐसे में बड़े भाई लखन सहारा बने। उन्होंने फॉर्म पर साइन किया। इस तरह शत्रुघ्न सिन्हा की जिंदगी का रुख बदल गया।

उनके तीन बड़े भाइयों में राम अभी अमेरिका में हैं और पेशे से साइंटिस्ट हैं। लखन इंजीनियर हैं और मुंबई में हैं। तीसरे भरत पेशे से डॉक्टर हैं औैर लंदन में रहते हैं। बिहारी बाबू के पिता और माता श्यामा सिन्हा का निधन हो चुका है। बिहारी बाबू को अपनी मां से कुछ ज्यादा ही लगाव था।

शत्रुघ्न सिन्हा की इच्छा बचपन से ही फ़िल्मों में काम करने की थी। अपने पिता की इच्छा को दरकिनार कर वे फ़िल्म एण्ड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ पुणे में प्रवेश लिया। वहाँ से ट्रेनिंग लेने के बाद वे फ़िल्मों में कोशिश करने लगे। लेकिन कटे होंठ के कारण किस्मत साथ नहीं दे रही थी। ऐसे में वे प्लास्टिक सर्जरी कराने की सोचने लगे। तभी देवानंद ने उन्हें ऐसा करने से मना कर दिया था। उन्होंने वर्ष 1969 में फ़िल्म ‘साजन’ के साथ अपने कैरियर की शुरूआत की थी।

पचास-साठ के दशक में के.एन. सिंह, साठ-सत्तर के दशक में प्राण, अमजद ख़ान और अमरीश पुरी। और इन्हीं के समानांतर फ़िल्म एण्ड टीवी संस्थान से अभिनय में प्रशिक्षित बिहारी बाबू उर्फ शॉटगन उर्फ शत्रुघ्न सिन्हा की एंट्री हिन्दी सिनेमा में होती है। अपनी ठसकदार बुलंद, कड़क आवाज और चाल-ढाल की मदमस्त शैली के कारण शत्रुघ्न जल्दी ही दर्शकों के चहेते बन गए। आए तो वे थे वे हीरो बनने, लेकिन इंडस्ट्री ने उन्हें खलनायक बना दिया।

खलनायकी के रूप में छाप छोड़ने के बाद वे हीरो भी बने। जॉनी उर्फ राजकुमार की तरह शत्रुघ्न की डॉयलाग डिलीवरी एकदम मुंहफट शैली की रही है। उनके मुँह से निकलने वाले शब्द बंदूक की गोली समान होते थे, इसलिए उन्हें ‘शॉटगन’ का टाइटल भी दे दिया गया। शत्रुघ्न की पहली हिंदी फ़िल्म डायरेक्टर मोहन सहगल निर्देशित ‘साजन’ (1968) के बाद अभिनेत्री मुमताज़ की सिफारिश से उन्हें चंदर वोहरा की फ़िल्म ‘खिलौना’ (1970) मिली। इसके हीरो संजीव कुमार थे। बिहारी बाबू को बिहारी दल्ला का रोल दिया गया। शत्रुघ्न ने इसे इतनी खूबी से निभाया कि रातों रात वे निर्माताओं की पहली पसंद बन गए। उनके चेहरे के एक गाल पर कट का लम्बा निशान है।

आम जीवन में शत्रुघ्न सिन्हा एक सरल इंसान के रुप में जाने जाते हैं. उनके जानने वालों का भी कहना है कि उनके जैसा स्वभाव वाला इंसान बहुत कम देखने को मिलता है, हर समय सबकी मदद के लिए तैयार रहना तो कोई उनसे सीखे. साथ ही कई मौकों पर वह अपने भाषणों में अपना तीखा अंदाज भी दर्शाते हैं. उन्हें सबसे पहले देवानंद के साथ फिल्म प्रेम पुजारी में अभिनय करने का मौका मिला. उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और एक से एक हिट फिल्म देते चले गए.

इसी बीच उनके और रीना रॉय के अफेयर की चर्चाएं शुरू हो गईं. लेकिन ये अफेयर ज्यादा दिन तक नहीं चला. उसके बाद उनका नाम पूनम से जोड़ा जाने लगा. पूनम उनके साथ फिल्म इंस्टीट्यूट पुणे में साथ पढ़ती थीं. पूनम भी शत्रुघ्न सिन्हा की तरह एक फिल्म स्टार बनना चाहती थीं. उन्होंने मुंबई में आयोजित एक सौंदर्य प्रतियोगिता जीतकर फिल्म का कॉन्ट्रेक्ट प्राप्त किया और उसके बाद कोमल के नाम से उन्होंने एक्टिंग भी शुरू की. वह उस दौर की चंद फिल्मों में आईं, लेकिन एक दिन अचानक कोमल ने जाने-माने अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा से विवाह कर अभिनय को अलविदा कह दिया। आज इनके परिवार में एक बेटी और दो बेटे हैं. इनकी बेटी सोनाक्षी सिन्हा हैं जो आज लगातार हिट फिल्में दे रही हैं.

शत्रुघ्न सिन्हा फिल्म सूची | फ़िल्मोग्राफ़ी: शत्रुघ्न सिन्हा ने हिंदी फिल्मों की मुख्य काम की है, अनमहिन की हिट फ़िल्म के नाम नामों के साथ है – खिलोना (1970), चेतना (1970), परवाना (1971), मेरी अपन (1971), जुम्बलर (1971), एक नारी एक ब्रह्मचारी (1971), रिवाज (1972), बुनियाद (1972), भाई हो टू ऐसा (1972), बॉम्बे गोवा (1972), रामपुर का लक्ष्मण (1972), कश्माकाश (1973), एक नारी दो रूप (1973 (1977), परमात्मा (1978), दिल्लगी (1978), अमर शक्ति (1978), मुकाबला (1979), शारदी के साइ बाबा (1977) 1979), जाणी दुश्मन (1979), हीरा-मोती (1979), गौतम गोविंदा (1979), काला पत्थर (1979), चंबल की कसम (1980), दोटाणा (1980), क्रांति (1981), नसीब (1981) मंगल पांडे (1982), हाथीकडी (1982), तेसरी आँख (1982), गंगा मेरी मां (1983), क़यामत (1983), जीन नाई दोओंगा (1984), आंधी-तूफ़ान (1985), कातल (1986), इलज़ाम 1986), अशली नकली (1986), खुदगर (1987), इन्सानियत के दुश्मन (1987), लोहा (1987), सागर संगम (1988), ख़ून भरी मांग (1988), गंगा तेरे देश में (1988), रणभूमि (1991), बीताज बादशा (1994), प्रेम योग (1994), ज़माना दीवाना (1995), दीवाना हूं पागल नहीं (1998), ऐन: मेन इन वर्क (2004) और रक्ता चरित्र (2010) इत्यादि।

बॉलीवुड के जाने माने अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा का कहना है कि उनकी जीवनी ‘एनीथिंग बट खामोश : द शत्रुघ्न सिन्हा बायोग्राफी’ सच्ची और पारदर्शी है। शत्रुघ्न की जीवनी का लोकार्पण किया गया है। शत्रुघ्न ने कहा “मेरी जीवनी मनोरंजक और प्रभावशाली है, क्योंकि इसमें अच्छी बुरी हर तरह की चीजें हैं और इसमें नकारात्मक पहलू को भी ईमानदारी से बताया गया है। मेरा मानना है कि मेरी जीवनी सच्ची और पारदर्शी है। ” शत्रुध्न ने कहा “लोग मेरे बारे में बहुत कुछ कहते हैं जो मझे पसंद नहीं है, लेकिन इसमें कुछ भी छिपा नहीं है।

इस देश में लोकतंत्र है और यहां सभी को बोलने का अधिकार है। अमिताभ बच्चन ने शुक्रवार को शत्रुघ्न की जीवनी का लोकार्पण किया, जिसे प्रसिद्ध स्तंभकार, आलोचक और लेखक भारती एस. प्रधान ने लिखा है.प्रधान ने सात साल के शोध, 37 साक्षात्कार और सिन्हा परिवार के साथ 200 घंटों से भी ज्यादा समय की बातचीत के आधार पर यह जीवनी लिखी है. शत्रुघ्न की बायोग्राफी में उनके और बिग बी के बीच मनमुटाव और खटास के बारे में कई बातें लिखी गई हैं, यदि हम दोस्त हैं, तो हमें लड़ने का भी हक है. अगर आज आप मुझसे पूछे तो मैं कहूंगा कि मेरे दिल में अमिताभ बच्चन के लिए बेहद आदर हैं और मैं उन्हें पर्सनालिटी ऑफ द मिलेनियम मानता हूं.

कुछ खास बातें :

• शत्रुघ्न ने 1969 की मोहन सहगल की फिल्म ‘साजन’ में एक पुलिस इंस्पेक्टर का छोटा रोल किया था.
• शत्रुघ्न सिन्हा ने गुलजार की फिल्म ‘मेरे अपने’ में काफी फेमस ‘छेनू’ का किरदार निभाया था. उसके बाद ‘कालीचरण’ फिल्म में काम करके शत्रु बॉलीवुड की लाइमलाइट में आए. ‘कालीचरण’ रिलीज होने के बाद 24 घंटे में शत्रुघ्न ने यूनिट मेंबर्स को अपनी एक महीने की सैलरी को बोनस के रूप में देने का ऐलान कर दिया था.
• शत्रुघ्न सिन्हा ने पूर्व मिस यंग इंडिया ‘पूनम सिन्हा’ के साथ शादी रचाई. शत्रुघ्न ने पूनम को चलती हुई ट्रेन में फिल्म ‘पाकीजा’ के डायलॉग ‘अपने पांव जमीन पर मत रखिएगा…’ को कागज पर लिखकर प्रोपोज किया था. शादी के बाद उनके दो बेटे लव, कुश और एक बेटी एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा हैं.
• 70 के दशक में शत्रुघ्न सिन्हा और महानायक अमिताभ बच्चन के बीच प्रतियोगि‍ता का दौर था. शत्रुघ्न सिन्हा फिल्म ‘शोले’ में भी एक रोल करने वाले थे.
• शत्रु ने फिल्मों के साथ-साथ राजनीति में भी अपना हाथ आजमाया. बिहारी बाबू यूनियन मिनिस्टर रहे हैं और वर्तमान में बिहार के पटना साहिब से बीजेपी सासंद हैं.
• शत्रुघ्न ने कई ऐसी फिल्मों में काम किया जो शुरू हुई, पर बीच में ही ठप हो गईं और बन नहीं पाईं, उन फिल्मों के नाम हैं- हिंसा, दो नंबरी, जेब हमारी माल तुम्हारा, अग्नि‍शपथ, नहले पे दहला.

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